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अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

difference between void and voidable contract in Hindi

Void contract को हिंदी में शून्य अनुबंध कहा जाता है और Voidable contract को शून्यकरणीय संविदा कहा जाता है। तो सबसे पहले बात करते है वॉइड कॉन्ट्रैक्ट की    1..Void contract या शून्यअनुबंध; According to section 2(j) of the Indian Contract Act , the agreement not enforceable in the court of law is void “An agreement not enforceable by law is said to be void”. इसका मतलब है कि void contract शुरुआत से ही नाजायज यानी not valid कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमे आपको कानूनी रूप से सहायता नहीं मिलती जैसे आपने जिसके पार्टी के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है उसने अगर धोखा दे दिया! तो आपके पास कोई कानूनी विकल्प नही रहे जाता है। क्योंकि वो कॉन्ट्रैक्ट क़ानून valid था ही नही। दोस्तों यह एक ऐसा contract होता है जिसमें आप दूसरे व्यक्ति के साथ कॉन्ट्रैक्ट में तो होते हैं, लेकिन उस कॉन्ट्रैक्ट में आप कोई ऐसा कार्य करने को बोल रहे हैं जो कानूनन वैलिड नहीं है जैसे कि आप से एक व्यक्ति ने कहा कि अगर मैं तुम्हारे साथ जुआ में हार जाता हूं तो मैं मेरी कार तुम्हें दे दूंगा तो यह जो कॉन्ट्रैक्ट है, जुआ का जो वैलिड है नहीं कानू

एमिकस क्यूरे कौन होता है ? Who is Amicus Curiae in hindi

एमिकस क्यूरे कौन होता है ?/ Who is Amicus Curiae ? नमस्कार आपका स्वागत है हमारे ब्लॉक पोस्ट में दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे। एमिकस क्यूरे के बारे में दोस्तों इस ब्लॉग में आप जानेंगे कि एमिकस क्यूरे कौन होता है और एमिकस क्यूरे कि कोर्ट के अंदर क्या भूमिका होती है तो चलिए शुरू करते हैं। दोस्तों एमिकस क्यूरे एक वकील होता है जो बार काउंसिल जिसको अप्वॉइंट करती है कोर्ट को असिस्ट करने के लिए।       एमिकस क्यूरे इमेज ~ एडवोकेट राज राठौड़        दोस्तों एमिकस क्यूरे को इसलिए अप्वॉइंट किया जाता है क्योंकि कोर्ट में बहुत बार ऐसे मामले आते हैं जिनमें जज को अपना निर्णय सुनाने में काफी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि यह जो मामले होते हैं, कुछ इस तरीके/ नेचर के होते हैं जिनके अंदर जज को अपना स्वविवेक से फैसला सुनाना होता है तो हो सकता है। एक व्यक्ति का स्वविवेक एक दूसरे के लिए सही ना हो तो ऐसे मामलों में जज की मदद करते हैं एमिकस क्यूरे। उनको जजमेंट सुनाने में और भी बहुत तरीके से जज की अलग अलग लीगल तकनीकियो वे बारीकियों को समझने में सहायता करता है । दोस्तों एमिकस क्यूर

Doli incapax hindi section 82 and 83 of IPC

Doli incapax in hindi  नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको आईपीसी के एक जरूरी टॉपिक के बारे में बता रहे है जिसे कानून में डोली इनकैपेक्स (doli incapax) के नाम से जाना जाता हैं। दोस्तों डोली इनकैपेक्स आईपीसी का एक बहुत ही इंपॉर्टेंट विषय है जो है जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में भी शामिल किया गया है और इसके बारे में जानना हर वकील को काफी ज्यादा जरूरी है क्योंकि डोली इनकैपेक्स जो है, कई बार हमारे प्रेक्टिकल लाइफ में यूज लिया जाता है और यह एक ऐसा टॉपिक है जिसको अगर आप अच्छी तरह से जान लेते हैं तो आपकी वकालत में यह काफी काम आ सकता है तो दोस्तो आज की इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा। डोली इनकैपेक्स क्या होता है? डोली इनकैपेक्स कि क्या इंपोर्टेंस है हमारे कानून में तो आइए जानते हैं।                             Doli incapax image दोस्तों डोली इनकैपेक्स के कांसेप्ट को समझने के लिए हमें सबसे पहले भारतीय दंड संहिता का सेक्शन 82 और सेक्शन 13 सी को पढ़ना पड़ेगा तो दोस्तों सबसे पहले पढ़ते है कि क्या कहता हैं सेक्शन 82 और सेक्शन 83 भारतीय दंड संहिता का भारतीय दंड संहिता की धारा 82 के अनुसार, सात वर्ष

Doctrine of Eclipse in hindi

आच्छादन का सिद्धांत इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन के आर्टिकल 13 (1) से लिया गया है।  इसमें कहा गया  है कि... ( 1) All laws in force in the territory of India immediately before the commencement of this Constitution, in so far as they are inconsistent with the provisions of this Part, shall to the extent of such inconsistency, be void.         Doctrine of Eclipse in hindi Image इसका एक बहुत फेमस केस लॉ हैं..भीकाजी नारायण बनाम स्टेट ऑफ़ मध्य प्रदेश का ( ए. आई. आर. 19955 एस. सी. 781)  भीकाजी के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने डॉक्ट्रिन ऑफ एक्लिप्स का प्रतिपादन किया। और इस केस में आर्टिकल13 (1) का हवाला देते हुए कहा गया कि आर्टिकल 13 (1) के अनुसार 1950 से पहले पारित किया गया कोई भी कानून हमारे संविधान को अपनाने से पहले शून्य है यदि यह भाग 3 के किसी भी प्रावधान यानी संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है तो। दोस्तो इसको अगर साधारण शब्दो मे समझेतो इसका मतलब यह हुआ की भारत की स्वतंत्रता से पहले का कोई भी कानून यदि उल्लंघन करता है या मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष में है तो वह असंगतता से शून्य

Damnum Sine Injuria injuria sine damnum in Hindi

नमस्कार आज की ब्लॉग पोस्ट में हम आपको बताने जा रहे हैं  Damnum Sine Injuria और  injuria sine damnum  लीगल मैगेजिमस के बारे में दोस्तों यह अगर आप एक वकील है या फिर आप एक लॉ स्टूडेंट है तो आपको इनको जानना बहुत ज्यादा जरूरी है। इस ब्लॉग के माध्यम से मैने  Damnum Sine Injuria injuria sine damnum  लीगल मैगेजिमस के बारे में  बहुत ही आसान हिंदी भाषा में बताने की कोशिश की है आशा करता हूं इस ब्लॉगपोस्ट को पढ़ने के बाद आपके मन मे किसी प्रकार का संदेह नही रहेगा  Damnum Sine Injuria injuria sine damnum  लीगल मैगेजिमस के बारे में इसे से पहले हम शुरू कर एक बात को अच्छे से जान ले दरसल   Damnum Sine Injuria और injuria sine damnum दोनों अलग अलग  लीगल मैगेजिमस है। इसलिए हम आपको अलग अलग ही बता रहे है तो सबसे पहले बात करते है  injuria sine damno की और बाद में हम जानेंगे   Damnum Sine Injuria के बारे में। 1.injuria sine damno Which means that injury or loss or damage is caused to the plaintiff without suffering any physical injury or damage. यहां, इस मामले में, वादी को इतने नुकसान का सामना नहीं करना पड़ता ह

डाईंग डिक्लेरेशन यानी मृत्युकालीक कथन क्या होता है ?

नमस्कार दोस्तों स्वागत है। आपका आज की ब्लॉग पोस्ट में दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं। डाईंग डिक्लेरेशन के बारे में दोस्तों और डाईंग डिक्लेरेशन हमारे क़ानून का एक बहुत ही शानदार कांसेप्ट है। डाईंग डिक्लेरेशन का सिंपल सा मतलब होता है। जब कोई व्यक्ति मरने वाला होता है, उससे पहले उस व्यक्ति द्वारा दिया गया कोई बयान डाईंग डिक्लेरेशन के रूप में जाना जाता है । दोस्तों डाईंग डिक्लेरेशन यानी मृत्युकालीक कथन के कांसेप्ट को जानने के लिए हम आपको कुछ सवाल जवाब के रूप में इस कांसेप्ट को समझाने की कोशिश करते हैं ताकि आपको यह जो कॉन्सेप्ट बहुत ही आसानी से समझ में आ जाए और आपके मन में डाईंग डिक्लेरेशन से रिलेटेड जो भी सवाल जवाब आपके दिमाग में आएंगे, उनका भी हल हो जाएगा तो दोस्तों देखते हैं। आखिर डाईंग डिक्लेरेशन क्या है और इसको किस तरीके से हमारा कानून देखता है। 1. मृत्युकालीक कथन का क्या कोई फॉर्मेट होता है या होना चाहिए ? नही ऐसा कुछ आवश्यक नही है मृत्युकालिक कथन मौखिक हो सकता है या फिर लिखित भी हो सकता है जहां तक मौखिक बयान का सवाल है, तो इसका अस्तित्व या इसको मरने वाले व्यक्ति

किसी भी लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले यह जरूर जान ले ।

नमस्कार दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप कैसे किसी लॉ कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं और एडमिशन लेने से पहले आपको किन किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए। किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए सबसे पहले आपको उस कॉलेज के बारे में बहुत सारी जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए। आपको उस कॉलेज के बारे में काफी रिसर्च करना चाहिए। तभी जाकर के एडमिशन लेने की सोचनी चाहिए क्योंकि कई बार क्या होता है कि हम एडमिशन तो ले लेते हैं, लेकिन कॉलेज के बारे में रिसर्च नहीं करते हैं। जब हम कॉलेज के बारे में रिसर्च नहीं करते हैं तो इसका भारी नुकसान हमें उठाना पड़ सकता है क्योंकि कई बार बहुत सारी कॉलेज ऐसे हैं जो फेक डिग्री प्रोग्राम चलाती है। और वह जो नकली डिग्री प्रोवाइड कर देती है और जब डिग्री आपके हाथ में आ जाती है और आप उस डिग्री का इस्तेमाल अपने कैरियर बनाने में करते है तब आपको सच्चाई पता लगती है। और ऐसे में आपके पास कोई भी चारा नहीं होता है और आप बहुत ज्यादा निराश होते हैं। आपका काफी टाइम खराब हो चुका होता है और इसमें आप जो है, कॉलेज को भी दोष नहीं दे सकते हैं ना किसी और को दोष दे सकते हैं। ऐसे म

Bar council of Rajasthan में अपना रेजिस्ट्रेशन कैसे करवाये ?

नमस्कार दोस्तों  आपका स्वागत है। मेरी इस ब्लॉग स्पॉट पोस्ट पर दोस्तों आज के इस ब्लॉग पोस्ट में मैं आपको बताने जा रहा हूं कि आप कैसे BCR यानी बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में अपना एनरॉलमेंट एक वकील के रूप करा सकते है ?  और BCR में इनरोलमेंट करने के लिए आपको कौन कौन से डॉक्यूमेंट चाहिए होगे ? और BCR में आपका इनरोलमेंट हो जाने के बाद आपको क्या-क्या फायदा होगा ? इन सारे सवालों के जबाब आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से दूंगा ताकि आपके बार काउंसिल ऑफ राजस्थाान में आसानी से रेजिस्ट्रेशन हो जाये। तो दोस्तो अगर आप ने law की डिग्री ले ली है यानी LL.B या B.A.LLB की पढ़ाई पूरी कर ली है औऱ आप राजस्थान से है तो आपके सामने सबसे पहला विकल्प होता है की आप वकील/एडवोकेट के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन BCR यानी बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में करवाये दोस्तों बीसीआर में रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आपको सबसे पहले कुछ डॉक्यूमेंट की जरूरत होगी। उन डॉक्यूमेंट को कलेक्ट करने के बाद आप BCR में रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई कर सकते हैं। बार काउंसिल ऑफ राजस्थान में रजिस्ट्रेशन करवाने के बहुत सारे फायदे हैं जब राजस्थान बार मे रजिस्ट