सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

किसी भी लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले यह जरूर जान ले ।

नमस्कार दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप कैसे किसी लॉ कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं और एडमिशन लेने से पहले आपको किन किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए।





किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए सबसे पहले आपको उस कॉलेज के बारे में बहुत सारी जानकारी इकट्ठी करनी चाहिए। आपको उस कॉलेज के बारे में काफी रिसर्च करना चाहिए। तभी जाकर के एडमिशन लेने की सोचनी चाहिए क्योंकि कई बार क्या होता है कि हम एडमिशन तो ले लेते हैं, लेकिन कॉलेज के बारे में रिसर्च नहीं करते हैं। जब हम कॉलेज के बारे में रिसर्च नहीं करते हैं तो इसका भारी नुकसान हमें उठाना पड़ सकता है क्योंकि कई बार बहुत सारी कॉलेज ऐसे हैं जो फेक डिग्री प्रोग्राम चलाती है। और वह जो नकली डिग्री प्रोवाइड कर देती है और जब डिग्री आपके हाथ में आ जाती है और आप उस डिग्री का इस्तेमाल अपने कैरियर बनाने में करते है तब आपको सच्चाई पता लगती है।

और ऐसे में आपके पास कोई भी चारा नहीं होता है और आप बहुत ज्यादा निराश होते हैं। आपका काफी टाइम खराब हो चुका होता है और इसमें आप जो है, कॉलेज को भी दोष नहीं दे सकते हैं ना किसी और को दोष दे सकते हैं। ऐसे में दोष किसी का होता है तो वह आपका होता है तो ऐसे में सबसे ज्यादा जरूरी और ध्यान रखने वाली बात यह है कि किसी भी लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले आप उस कॉलेज के बारे में बहुत सारी चीजें जान ले। उस कॉलेज के बारे में सबसे जरूरी जो बात है वह कॉलेज रिकॉग्नाइजेस उनके बारे में जान ले।
दोस्तों इसके लिए आपको सबसे पहले एक छोटा सा काम करना होगा। आपको यूजीसी की वेबसाइट पर जाना होगा और वहां पर जिस कॉलेज में आप एडमिशन लेने की सोच रहे हैं, या जिस यूनिवर्सिटी में आप एडमिशन लेने की सोच रहे हैं, तो उस कॉलेज के बारे में आपको बेसिक जानकारी जैसे कि यूजीसी ने उस कॉलेज को मान्यता दी है या नहीं दी है। यूजीसी ने किन-किन कोर्सेज को रन करने की उस यूनिवर्सिटी/ कॉलेज को मान्यता दी है और सबसे ज्यादा जरूरी बात यह है कि कौन-कौन से कोर्स वर्तमान में चल रहे हैं ? और भी काफी जानकारी जैसे कि उस यूनिवर्सिटी का ट्रैक रिकॉर्ड क्या रहा है। यूजीसी ने उसको कितनी ग्रांट दी है और उस यूनिवर्सिटी की परफॉर्मेंस कैसी रही है। यह सारी जानकारी आप यूजीसी की वेबसाइट पर जा करके पता कर सकते हैं और इन सारी जानकारी पता करने के बाद अगर आपको लगे कि यह जानकारी ठीक है। कॉलेज या यूनिवर्सिटी एडमिशन लेने के लायक हैं कॉलेज तो आप एडमिशन ले सकते हैं, अन्यथा ऐसी कॉलेज में एडमिशन ना ले तो बेतहर है।


दोस्तों अगर आप को और अधिक जानकारी चाहिए तो आप हमारे यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो है। इसके बारे में उस वीडियो को देख सकते हैं। उस वीडियो की हम आपको नीचे दे रहे हैं। उस वीडियो पर क्लिक करके आप वीडियो देख सकते हैं।




अगर आपको हमारा काम पसंद आता है तो आप हमारे यूट्यूब चैनल Advocate Raaj Rathore को सब्सक्राइब भी कर सकते हैं। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Doli incapax hindi section 82 and 83 of IPC

Doli incapax in hindi  नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम आपको आईपीसी के एक जरूरी टॉपिक के बारे में बता रहे है जिसे कानून में डोली इनकैपेक्स (doli incapax) के नाम से जाना जाता हैं। दोस्तों डोली इनकैपेक्स आईपीसी का एक बहुत ही इंपॉर्टेंट विषय है जो है जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में भी शामिल किया गया है और इसके बारे में जानना हर वकील को काफी ज्यादा जरूरी है क्योंकि डोली इनकैपेक्स जो है, कई बार हमारे प्रेक्टिकल लाइफ में यूज लिया जाता है और यह एक ऐसा टॉपिक है जिसको अगर आप अच्छी तरह से जान लेते हैं तो आपकी वकालत में यह काफी काम आ सकता है तो दोस्तो आज की इस पोस्ट में मैं आपको बताऊंगा। डोली इनकैपेक्स क्या होता है? डोली इनकैपेक्स कि क्या इंपोर्टेंस है हमारे कानून में तो आइए जानते हैं।                             Doli incapax image दोस्तों डोली इनकैपेक्स के कांसेप्ट को समझने के लिए हमें सबसे पहले भारतीय दंड संहिता का सेक्शन 82 और सेक्शन 13 सी को पढ़ना पड़ेगा तो दोस्तों सबसे पहले पढ़ते है कि क्या कहता हैं सेक्शन 82 और सेक्शन 83 भारतीय दंड संहिता का भारतीय दंड संहिता की धारा 82 के अनुसार, सात वर्ष

difference between void and voidable contract in Hindi

Void contract को हिंदी में शून्य अनुबंध कहा जाता है और Voidable contract को शून्यकरणीय संविदा कहा जाता है। तो सबसे पहले बात करते है वॉइड कॉन्ट्रैक्ट की    1..Void contract या शून्यअनुबंध; According to section 2(j) of the Indian Contract Act , the agreement not enforceable in the court of law is void “An agreement not enforceable by law is said to be void”. इसका मतलब है कि void contract शुरुआत से ही नाजायज यानी not valid कॉन्ट्रैक्ट होता है जिसमे आपको कानूनी रूप से सहायता नहीं मिलती जैसे आपने जिसके पार्टी के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है उसने अगर धोखा दे दिया! तो आपके पास कोई कानूनी विकल्प नही रहे जाता है। क्योंकि वो कॉन्ट्रैक्ट क़ानून valid था ही नही। दोस्तों यह एक ऐसा contract होता है जिसमें आप दूसरे व्यक्ति के साथ कॉन्ट्रैक्ट में तो होते हैं, लेकिन उस कॉन्ट्रैक्ट में आप कोई ऐसा कार्य करने को बोल रहे हैं जो कानूनन वैलिड नहीं है जैसे कि आप से एक व्यक्ति ने कहा कि अगर मैं तुम्हारे साथ जुआ में हार जाता हूं तो मैं मेरी कार तुम्हें दे दूंगा तो यह जो कॉन्ट्रैक्ट है, जुआ का जो वैलिड है नहीं कानू

डाईंग डिक्लेरेशन यानी मृत्युकालीक कथन क्या होता है ?

नमस्कार दोस्तों स्वागत है। आपका आज की ब्लॉग पोस्ट में दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम आपको बताने जा रहे हैं। डाईंग डिक्लेरेशन के बारे में दोस्तों और डाईंग डिक्लेरेशन हमारे क़ानून का एक बहुत ही शानदार कांसेप्ट है। डाईंग डिक्लेरेशन का सिंपल सा मतलब होता है। जब कोई व्यक्ति मरने वाला होता है, उससे पहले उस व्यक्ति द्वारा दिया गया कोई बयान डाईंग डिक्लेरेशन के रूप में जाना जाता है । दोस्तों डाईंग डिक्लेरेशन यानी मृत्युकालीक कथन के कांसेप्ट को जानने के लिए हम आपको कुछ सवाल जवाब के रूप में इस कांसेप्ट को समझाने की कोशिश करते हैं ताकि आपको यह जो कॉन्सेप्ट बहुत ही आसानी से समझ में आ जाए और आपके मन में डाईंग डिक्लेरेशन से रिलेटेड जो भी सवाल जवाब आपके दिमाग में आएंगे, उनका भी हल हो जाएगा तो दोस्तों देखते हैं। आखिर डाईंग डिक्लेरेशन क्या है और इसको किस तरीके से हमारा कानून देखता है। 1. मृत्युकालीक कथन का क्या कोई फॉर्मेट होता है या होना चाहिए ? नही ऐसा कुछ आवश्यक नही है मृत्युकालिक कथन मौखिक हो सकता है या फिर लिखित भी हो सकता है जहां तक मौखिक बयान का सवाल है, तो इसका अस्तित्व या इसको मरने वाले व्यक्ति